शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

बिट्टी क़ी विदाई

बिट्टी क़ी विदाई 
बिट्टी काहे मैंने तुझे, गोदी से उतार दिया
बचपन को तेरे मैंने, काहे खुद मार दिया 

हाथों को मल के भी, अब क्या मिलना है 
दर्द भरे दिल को बस, अश्कों से  सिलना है 
तेरे भोलेपन का मैंने, काहे न विचार किया 
           बिट्टी काहे मैंने तुझे, गोदी से उतार दिया 

इस घर से नाता अपना, भूल न जाना 
नया घर मिला है, पर ए तेरा है पुराना 
जिसे तुने ही अपने हाथों से संवार दिया 
            बिट्टी काहे मैंने तुझे, गोदी से उतार दिया 

सूना लगे कंधा मेरा, सूना लगे आँगन 
अश्क बहाएं आँखें, बोझिल है तन-मन
काहे डैडी/मम्मी  कह के तुने, मुझे  इतना प्यार दिया 
             बिट्टी काहे मैंने तुझे, गोदी से उतार दिया 

जाए जहाँ तू बिट्टी, सदा मुस्कराए 
नैन न होयें गीले, दिल गुनगुनाये 
महकाए,  इश्वर ने तुझे जो घर-द्वार दिया  
            बिट्टी काहे मैंने तुझे, गोदी से उतार दिया 

                                        गोपालजी  /  मीनाक्षी   

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