शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

धन्य है हम

कितना कायरतापूर्ण, स्वार्थ और नपुंसकता से भरा है
हमारा चरित्र कि हम पतित, दुश्चरित्र और मानवता विहीन
राजनीतिज्ञों, क्षेत्रीय गुंडों और छद्म आध्यात्मिक गुरुओं
के गुलाम हो कर रह गए हैं,.और गाते फिरते हैं अपनी
शौर्य गाथा ......... इतिहास गवाह है कि हमने हजारों वर्षों
की गुलामी झेली है सच तो यह है कि आज भी झेल रहे हैं
फर्क बस इतना है कि कल तक लुटेरे बाहर के थे, आज
उनसे भी बद्दतर घरेलु, जिनको न तो देश के प्रति आस्था है
न ही मानवता के प्रति संवेदना और डरे हुए भावउन्मादी हम,
कहीं किसी पतित राजनीतिज्ञ,  किसी ठग आध्यात्मिक
गुरु,  कही किसी अनैतिक शासक  और कहीं किसी
क्षेत्रीय गुंडे के चरणों में लोट रहे है.    
विलक्षणता है हमारी,  कि हम हर परिस्थिति
में खुश हैं, शौर्य गाथा इतनी कि हर दमन को सहने
की क्षमता रखते हैं और भावुक इतने कि किसी विरले साहसी,
जो हमारे पक्ष में आवाज़ उठाता है, उसको गोली से
भून देने वाले को माफ़ कर देते हैं.

विडम्बना है या हमारा भाग्य कि हममें से ही इश्वर चन्द्र
विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, सरदार पटेल,
दयानंद सरस्वती, विवेकानंद, शंकराचार्य और महात्मा
गाँधी जैसे लोग भी पैदा हुए, जिन्होने दमन,
अनैतिकता, आध्त्यामिक आडम्बर, पारंपरिक कुरीतियों
और कुशासन के विरुद्ध अनवरत संघर्ष किया....
जिनको हम नमन तो करते है उन जैसा होने का साहस
नहीं रखते  .
धन्य है हम, और हमारी मानसिकता .

                    " गोपालजी "

   

  

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