गुरुवार, 14 जनवरी 2010

एक था राजा एक थी रानी

सच है सुन लो मेरी कहानी,
एक था राजा एक थी रानी .
राजा भी वही था वही उसकी रानी,
पर अब नहीं थी उनकी जवानी

दिन जीवन में ऐसे भी आये
साया था जिन पर, हुए उनके साए
लुटा दी थी जिन पर जीवन की पूंजी
पानी पिलाने तक से वो कतराए
प्यास बुझाता था आँखों का पानी ......
                   एक था राजा ..............
प्यार और ममता से जो बाग़ सींचा
मुश्किलों में जिनको अपने कलेजे से भींचा
धड्काया दिल जिनका सांसों से अपनी
उन्हीं दिल के टुकड़ों ने छीना बगीचा
निशां उनके धो रही थी, उनकी निशानी .......
                   एक था राजा ...............
चुकी हुई जिंदगी थी, थकी हुई सांसें
अपनों से दूर दोनों अकेले में खांसें,
वारिसों ने बाँट लिया था असबाब उनका
इंतज़ार करते थे कब निकलें फांसें,
और एक दिन वो आया मरे राजा रानी .......
                   एक था राजा रानी ..........
आज भी है जिंदा उनकी कहानी
देखते और दोहराते हैं हम यही कहानी ......
                    एक था राजा ................

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