शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

चिंकी और चंदा मामा

जेट से चिंकी चाँद पे पहुंचा
बोला चंदा मामा
यहाँ पे बैठे ठिठुर रहे हो
चलो बुलाते नाना ,

ज़ब से घर से भाग के आये
मुह छिपाए फिरते हो ,
झांकते रहते इधर उधर से
नहि एक ज़गह टिकते हो ,

चलो ले चलो थाली अपनी
गर खो गयी तो छोडो,
थाली- प्याली के चक्कर में
घर से मुख ना मोड़ो ,

तनिक ठहर कर रोब  गाँठ कर
फिर से चिंकी बोला ,
नंगे क्यों हो, कहाँ गया
नानी का दिया झिंगोला ,

कोई उत्तर ना मिलने पर
चिंकी भी झुंझलाया ,
बोला मामा हठ ने तुम्हारे
तुमसे घर छुड्वाया ,

            " गोपाल जी "          

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